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हिंदी कविताएँ तथा उर्दू साहित्य
> मैथिलीशरण गुप्त
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मैथिलीशरण गुप्त
नर हो, न निराश करो मन को
नहुष का पतन
अर्जुन की प्रतिज्ञा
किसान
मातृभूमि
मुझे फूल मत मारो
प्रतिशोध
चारु चंद्र की चंचल किरणें
दोनों ओर प्रेम पलता है
माँ कह एक कहानी
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