- नज़र मिला न सके उससे
- एक गज़ल उस पे लिखूँ
- धुन ये है
- अपने होने का सुबूत
- ज़िन्दगी से बड़ी सज़ा ही नहीं
- वो लब कि जैसे साग़रो-सहबा दिखाई दे
- आग है, पानी है, मिट्टी है
- बस एक वक़्त का खंजर मेरी तलाश में है
- यारो घिर आई शाम चलो मयकदे चलें
- तमाम जिस्म ही घायल था, घाव ऐसा था
- ये लम्हा ज़ीस्त का बस आख़िरी है और मैं हूँ