- कल चौदहवीं की रात थी शब भर रहा चर्चा तेरा
- इंशाजी उठो अब कूच करो
- उस शाम वो रुख़सत का समा
- एक लड़का
- रेख़्ता
- कबित्त (कवित्त)
- फ़र्ज़ करो
- इक बार कहो तुम मेरी हो
- लोग पूछेंगे
- साए से
- इंतज़ार की रात
- सावन-भादों साठ ही दिन हैं
- हम उनसे अगर मिल बैठते हैं
- देख हमारे माथे पर
- अपने हमराह जो आते हो इधर से पहले
- और तो कोई बस न चलेगा हिज्र के दर्द के मारों का
- रात के ख्वाब सुनाएं किस को रात के ख्वाब सुहाने थे
- जोग बिजोग की बातें झूठी सब जी का बहलाना हो
- ऐ मुँह मोड़ के जाने वाली
- यह बच्चा किसका बच्चा है
- ये बातें झूठी बातें हैं
- और तो कोई बस न चलेगा
- अच्छा जो ख़फ़ा हम से हो तुम ऐ सनम अच्छा
- ख़याल कीजिये क्या काम आज मैं ने किया