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हिंदी कविताएँ तथा उर्दू साहित्य
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कुमार विश्वास
कुमार विश्वास
भ्रमर कोई कुमुदनी पर मचल बैठा तो हंगामा
बाँसुरी चली आओ
मुक्तक
तुम अगर नहीं आयीं
एक पगली लड़की के बिन
जिसकी धुन पर दुनिया नाचे
हो काल गति से परे चिरंतन
महफ़िल महफ़िल मुस्काना तो पड़ता है
मैं तुम्हें ढूंढने स्वर्ग के द्वार तक
होठों पर गंगा हो, हाथों में तिरंगा हो
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