INDIAN_ROSE22
21-03-2015, 01:49 PM
गीत कह इसको न दुनियाँ
यह दुखों की माप मेरे !
काम क्या समझूँ न हो यदि
गाँठ उर की खोलने को ?
संग क्या समझूँ किसी का
हो न मन यदि बोलने को ?
जानता क्या क्षीण जीवन ने
उठाया भार कितना,
बाट में रखता न यदि
उच्छ्वास अपने तोलने को ?
हैं वही उच्छ्वास कल के
आज सुखमय राग जग में,
आज मधुमय गान, कल के
दग्ध कंठ प्रलाप मेरे.
गीत कह इसको न, दुनिया,
यह दुखों की माप मेरे !
यह दुखों की माप मेरे !
काम क्या समझूँ न हो यदि
गाँठ उर की खोलने को ?
संग क्या समझूँ किसी का
हो न मन यदि बोलने को ?
जानता क्या क्षीण जीवन ने
उठाया भार कितना,
बाट में रखता न यदि
उच्छ्वास अपने तोलने को ?
हैं वही उच्छ्वास कल के
आज सुखमय राग जग में,
आज मधुमय गान, कल के
दग्ध कंठ प्रलाप मेरे.
गीत कह इसको न, दुनिया,
यह दुखों की माप मेरे !