फ़ोरम में रहने,
गरम विभाग में बैठने,
और अपनी लाचारी का बोझ
सदस्यो के कंधों पर रखने वालों से
हमदर्दी की आशा करना है बेकार,
जिन्होंने दर्द नहीं झेला
कभी अपने हाथ काम करते हुए
ओ मेहनतकश,
उनसे दाद पाने को न होना बेकरार।
कहें जीत मोदी
चौपालो पर चाहे जितनी बहस कर लो,
अपना दर्द बाजार में बेचने के लिये भर लो,
मगर भले के सौदागरों से न करना कभी
इलाज के बदले दिल देने का करार।