कभी-कभी जिंदगी सब कुछ बदल देती है।किसी को पल भर मे खुशी देती है तो किसी को गम...पर हर किसी की झोली मे कुछ ना कुछ जरूर आता है!उस ऊपर वाले ने हमारे हाथो की लकीरो मे कुछ ना कुछ जरूर लिखा है....जो वक्त के साथ घटता रहता है।इस सब मे पूरा दिन गुजर गया....शाम को पवित्रा मां मुझे पार्क ले गई....पार्क मे हम दोनो ने मस्ती की।और थोड़ा दिन ढलते ही हम लोग घर आ गए....रास्ते मे पवित्रा मां ने मुझे आइसक्रीम भी खिलाई।घर आकर मां ने खाना बनाया और हमने मिलकर खाया.... फिर हम लोग चारपाई पर लेट गए....और बाते करने लगे।पवित्रा मां:- बेटा ये बताओ जब मै कही चली जाती हूं तो तुम रोने क्यो लग जाते हो?मै:- मुझे डर लगने लगता है कि कही आप भी मुझे छोड़ कर चली जाओगी।पवित्रा मां:- तो ये बात है....बेटा अब तुम बड़े हो गए हो....तुम्हे अकेला रहना सीखना होगा...तुम्हे जिंदगी मे अभी बहुत कुछ करना है!अगर ऐसे ही रोते रहे तो कभी अपने पैरो पर खड़े नही हो पाओगे।और जब मै नही रहूँगी तो तुम किसको बुलाओगे?मै मां की ना रहने वाली बात को सुनकर डर गया और उनसे से कसकर लिपट गया।मै:- मै आपको कही नही जाने दूंगा!पवित्रा मां:- बेटा एक ना एक दिन हर किसी को जाना पड़ता है...यही तो जिंदगी है!कब कहा और कैसे क्या हो जाए किसी को नही पता! इसलिए अपने अंदर के डर को खत्म करो।मै पवित्रा मां की बाते सुनते सुनते सो गया....क्योकि उनसे लिपटते ही मुझे सुकून मिला और मुझे कब नींद आई पता ही नही चला....जब मां ने मेरी ओर से कोई जवाब ना सुना....तो उन्होंने मेरी ओर देखा और मुझे सोते हुए पाया।मां के चेहरे पर स्माइल आ गई...और उन्होंने मुझे माथे पर किस किया और बालो मे उगलियाँ फिराने लगी।पवित्रा मां:- ये देखो मेरा नादान बेटा मेरी पूरी बात सुने बिना ही सो गया!ऐसे ही पवित्रा मां खुद से बाते करते हुए सो गई।ऐसे ही वक्त गुजरता गया...पवित्रा मां और मेरा रिश्ता बढता गया।देखते ही देखते 6 महीने गुजर गए...और एक दिन मां ने मुझसे कहा!पवित्रा मां:- बेटा मैने तुम्हारा एडमिशन स्कूल मे करवा दिया है।मै:- सच मे... लव यू मां।पवित्रा मां ने भी मुझे गले से लगा लिया।पवित्रा मा:- लव यू टू बेटा....चलो तैयार हो जाओ हमे मार्केट जाना है. .तुम्हारे लिए यूनिफॉर्म लेनी है...और बुक्स वगैरह भी लेनी है। फिर मै और मां चल दिए मार्केट...हम जल्द ही सारा सामान लेकर वापस आ गए....मेरा ऐडमिशन उस वक्त 4th मे हुआ था।ऐसी ही रात भी बीत गई।अगले दिन हम सुबह जल्दी उठे....पवित्रा मां ने मुझे जल्दी से स्कूल के लिए तैयार किया।और मुझे नाश्ता करवा के स्कूल छोड़ आई।मेरा मन तो नही था पवित्रा मां को छोड़कर जाने का पर जाना पड़ा क्योकि पढ़ना भी मुझे अच्छा लगता था...पर ना जाने क्यो मुझे बेचैनी हो रही थी दिल मे एक तडप सी उठ रही थी....मै क्लास मे पहुच गया...वहां पहुंचा तो मैडम ने सारी क्लास से मेरा इन्ट्रो करवाया और पढ़ाने लगी।इधर पवित्रा मां भी मुझे स्कूल छोड़कर घर पहुंच गई थी। जब ये घर पहुची तो अपने माईके वाले घर चली गई वहां उनके बाकी के घर वाले नाश्ता कर रहे थे....उनकी फैमिली मे बस एक भाई भाभी और उनकी एक बेटी थी। पवित्रा मां अभी घर के अंदर एंटर हुई ही थी कि...घर के बाहर दो गाड़ियां आकर रुकी!उसमे से कुछ आदमी बाहर निकल कर घर की ओर बढे.... जल्दी ही उन्होंने घर मे घुसकर तोड़फोड़ शुरू कर दी!पवित्रा मां के भाई आगे आए तो उनमे से एक ने पवित्रा मां के भाई के गले पर चाकू चला दिया....वो वही ढेर हो गए... घर की बाकी की तीन औरते भागने लगी।पवित्रा मां और उनकी भाभी और भतीजी की भी जल्द ही वहां लाशे पड़ी थी।(बात दरअसल ये थी कि गुंडे पवित्रा मा के भाई के एक बिजनेस मैन दुश्मन ने भेजे थे.... जिसका मुझे बात मे पता चला था)इधर मुझे स्कूल मे बहुत बेचैनी हो रही थी.....बार-बार मुझे पसीना आ रहा था....अजीब सी घबराहट हो रही थी!मुझसे और बर्दाश्त ना हुआ इसलिए मै रिसेस टाइम मे ही घर आने लगा...पर मुझे क्या पता था मेरी जिंदगी का "कड़वा सच" आने वाले तूफान से बेखबर मै घर की ओर बढ़ रहा था।
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