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Thread: मन-वकील के मन की आवाज़...

  1. #1031
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    Re: मन-वकील के मन की आवाज़...

    Quote Originally Posted by man-vakil View Post
    भय ना जाने कहाँ से आकर बस जाता,
    मेरे मन के पसरे असयंमी आँगन में,
    संग में ले आता अपने कुटिल मित्रों को,
    क्रोध रोष चिंता व्याकुलता की टोली,
    कुलषित विचारों की कीचड लेपन हो,
    मन में अँधियारो के बादल उमड़ते,
    मैं कौंधता हुआ अपने ही भीतर ऐसे,
    राह तकता रहता आस की किरणों की
    खुशी हुयी आपको यहाँ वापस देखकर, कृपया सक्रिय बने रहें, धन्यवाद..

  2. #1032
    फोरम कवि man-vakil's Avatar
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    मुसाफिर हूँ इस दुनिया में , जल्द वापिस
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    किस बात पर मैं लिखूँ, किस वज़ह की हो तफ़्सील,
    कुछ बेतुका सा, कुछ तुकबंदी, बस हूँ मैं मन वकील,
    कभी ख़्वाब रहते प्यासे,कभी भावों की खुले छबील,
    लिखने को कभी तरसता, बन के खूब मैं मन वकील,
    रेत सी फिसलती जिंदगी, सूखती हुई जोबन की झील,
    बालों में आती सफेदी अक्सर पूछे, कौन मन वकील,
    मेरी रचना को छापे, निज अपने नाम पर वो जलील,
    मैं ढूंढ़ता फिरता यहाँ वहां, हैं कौन वो नया मन वकील,
    किस पर करे मन नालिश,किस पर इल्ज़ाम तामील,
    बस चुप सा हो गया हूँ, धुँधला सा बना है मन वकील। .
    =========== आपका मन वकील
    Last edited by man-vakil; 02-10-2015 at 12:57 AM.
    मन-वकील ....

  3. #1033
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    आपके स्नेह का आभारी हूँ मित्र
    मन-वकील ....

  4. #1034
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    Quote Originally Posted by man-vakil View Post
    किस बात पर मैं लिखूँ, किस वज़ह की हो तफ़्सील,
    कुछ बेतुका सा, कुछ तुकबंदी, बस हूँ मैं मन वकील,
    कभी ख़्वाब रहते प्यासे,कभी भावों की खुले छबील,
    लिखने को कभी तरसता, बन के खूब मैं मन वकील,
    रेत सी फिसलती जिंदगी, सूखती हुई जोबन की झील,
    बालों में आती सफेदी अक्सर पूछे, कौन मन वकील,
    मेरी रचना को छापे, निज अपने नाम पर वो जलील,
    मैं ढूंढ़ता फिरता यहाँ वहां, हैं कौन वो नया मन वकील,
    किस पर करे मन नालिश,किस पर इल्ज़ाम तामील,
    बस चुप सा हो गया हूँ, धुँधला सा बना है मन वकील। .
    =========== आपका मन वकील
    बहुत बढ़िया वकील साहब

    आशा करती हु की नियमित उपस्थिति रहेगी आपकी अब मंच पे


    धन्यवाद
    सभी उपस्थित मित्रो से निवेदन है फोरम पे कुछ न कुछ योगदान करे,अपनी रूचि के अनुसार किसी भी सूत्र में अपना योगदान दे सकते है,या फिर आप भी कोई नया सूत्र बना सकते है

  5. #1035
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    मुसाफिर हूँ इस दुनिया में , जल्द वापिस
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    कितने भरे पड़े है यहाँ दुनिया में,
    बेबस लाचार,वो बीवीयों के सताए,
    आज वो सभी ही दिल्ली पुलिस के
    मुख्यालय के बाहर पंक्ति में नज़र आये,
    हर एक थामे था हाथ में श्वेत से कागज़,
    मुड़े हुए कागज़ शायद अर्ज़ी बन थे आये,
    मन वकील भी हिम्मत कर बढ़ा जैसे
    आगे उस मानव युक्त पंक्ति की ओर,
    कई दुखियारे वेदना से भरे हुए वो
    सूखे गले एकाएक मचाने लगे शोर,
    फिर भी हिम्मत कर मन वकील
    पूछे उनसे, ये लाइन कैसी है भाई,
    क्या दिल्ली पोलिस ने बिना एग्जाम
    बिना सेहत कोई भर्ती स्कीम लगाई,
    एक पति सा लगने वाला दुखियारा
    बोला, ऐ चुप रहो अक्लमंद भाई,
    जाकर पीछे लाइन में लग जाओ
    जो चाहते जीवन में कुछ रंगाई,
    हम सब यहाँ सोमनाथ भारती के
    पालतू डॉन की चाह में यहाँ आये,
    ताकि बीवी के सताने पर हम भी
    उसे प्यारे वफादार डॉन से कटवाए
    क्योकि आज ये डॉन ही सबको पसंद है
    पर बेचारा, मालिक जैसे जेल में बंद है ,,,,

    ====मन वकील
    मन-वकील ....

  6. #1036
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    बहुत वर्षों के पश्चात आज आना हुआ है। लगता है कि अब आप यहाँ सक्रिय नहीं हैं।

  7. #1037
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    Quote Originally Posted by Poorangyan View Post
    बहुत वर्षों के पश्चात आज आना हुआ है। लगता है कि अब आप यहाँ सक्रिय नहीं हैं।
    आप भी तो एक ज़माने बाद आये है

    नियमित तौर पे आया करे मंच पे


    स्वागत है आपका आपने ही मंच पे
    सभी उपस्थित मित्रो से निवेदन है फोरम पे कुछ न कुछ योगदान करे,अपनी रूचि के अनुसार किसी भी सूत्र में अपना योगदान दे सकते है,या फिर आप भी कोई नया सूत्र बना सकते है

  8. #1038
    कांस्य सदस्य superidiotonline's Avatar
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    Quote Originally Posted by anita View Post
    आप भी तो एक ज़माने बाद आये है

    नियमित तौर पे आया करे मंच पे


    स्वागत है आपका आपने ही मंच पे
    हम जो पिछले नौ साल से बिना नागा रोज आ रहे हैं, हमारा स्वागत नहीं होता। इसी को कहते हैं घर का मुर्ग़ा घास बराबर। हमारा भी स्वागत किया करो।

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